आज का लेख एक ऐसे महापुरुष पर है जिसने हमेशा देशहित के आगे कुछ नहीं आने दिया, आज का लेख है अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी (Atal Bihari Vajpayee In Hindi Jivani) पर। जानिए कैसे अटल जी ने तीन बार प्रधानमन्त्री के रूप में भारत को नेतृत्व किया और उनके अनेक क्षेत्रों में योगदान को समझें। इस लेख में उनके राजनीतिक जीवन, कारगिल युद्ध, और स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की महत्वपूर्ण उपलब्धियों का विवरण है।
Atal Bihari Vajpayee In Hindi Jivani | अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी
अटल बिहारी वाजपेयी भारत के तीन बार प्रधानमन्त्री रह चुके हैं। वे पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, फिर 1998 में और फिर 19 मार्च 1999 से 22 मई 2004 तक भारत के प्रधानमन्त्री रहे। वे हिन्दी कवि, पत्रकार और एक प्रखर वक्ता थे। वे भारतीय जनसंघ के संस्थापकों में एक थे और 1968 से 1973 तक उसके अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पाञ्चजन्य (पत्र) और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया।
जीवन परिचय
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर 25 दिसम्बर 1924 को जन्म हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी ग्वालियर में अध्यापन कार्य करते ही थे। इसके अतिरिक्त वे हिन्दी व ब्रज भाषा के सिद्धहस्त कवि भी थे। महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा रचित अमर कृति ‘विजय पताका’ पढ़कर अटल जी के जीवन की दिशा ही बदल गयी। अटल जी की बीए की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कॉलेज (वर्तमान में लक्ष्मीबाई कालेज) में हुई। छात्र जीवन से वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक बने और तभी से राष्ट्रीय स्तर की वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लेते रहे।
राजनीतिक जीवन
वह चार दशकों से भारतीय संसद के सदस्य थे। लोकसभा के दस बार, और दो बार राज्य सभा में चुने गए थे। उन्होंने लखनऊ के लिए संसद सदस्य के रूप में कार्य किया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर जीया। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतान्त्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे, जिन्होंने गैर कांग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 वर्ष बिना किसी समस्या के पूरे किए। इन्हें भीष्म पितामह भी कहा जाता है। उन्होंने 24 दलों के गठबन्धन से सरकार बनाई थी, जिसमें 81 मन्त्री थे।
प्रधानमंत्री के रूप में उनकी उपलब्धि
वाजपेयी सरकार ने 11 और 13 मई 1998 को पोखरण में पांच भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट करके भारत को परमाणु शक्ति सम्पन्न देश घोषित कर दिया। इस कदम से उन्होंने भारत को निर्विवाद रूप से विश्व मानचित्र पर एक सुदृढ वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित कर दिया। यह सब इतनी गोपनीयता से किया गया है कि अति विकसित जासूसी उपग्रहों और तकनीक से सम्पन्न पश्चिमी देशों को इसकी भनक तक नहीं लगी। यही नहीं इसके बाद पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर अनेक प्रतिबंध लगाए गए, लेकिन वाजपेयी सरकार ने सबका दृढ़तापूर्वक सामना करते हुए आर्थिक विकास की ऊंचाईयों को छुआ।
कारगिल युद्ध
अटल जी के ही कार्यकाल में पाकिस्तान से कारगिल का युद्ध लड़ा गया। पाकिस्तान के तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ की शह पर पाकिस्तानी सेना और उग्रवादियों ने कारगिल क्षेत्र में घुसपैठ करके कई पहाड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया था। अटल सरकार ने पाकिस्तान की सीमा का उल्लंघन न करने की अन्तरराष्ट्रीय सलाह का सम्मान करते हुए बहादुरी से इसका मुकाबला किया और भारतीय क्षेत्र को मुक्त कराया। इस जीत से अटल सरकार की और वाहवाही हुई।
स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना
अटल सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, जिसका जिक्र जरूर करना चाहिए। उन्होंने पूरे भारत में सड़कों का जाल बिछाने के लिए जाना जाता है। भारत के चारों कोनों को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए स्वर्णिम चतुर्भुज परियोजना की शुरुआत की गई। इसके अन्तर्गत दिल्ली, कलकत्ता, चेन्नई और मुम्बई को राजमार्गों से जोड़ा गया। ऐसा माना जाता है कि अटल जी की सरकार के कार्यकाल में भारत में जितनी सड़कों का कार्य हुआ, इतना केवल शेरशाह सूरी के समय में ही हुआ था।
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कवि के रूप में अटल जी
अटल बिहारी वाजपेयी, अपने प्रख्यात राजनीतिक करियर के अलावा, एक प्रमुख कवि भी थे, जिन्होंने अपने साहित्यिक योगदान के लिए प्रशंसा प्राप्त की। उनकी कविताओं का प्रभाव था उनके संग्रह “मेरी इक्यावन कविताएँ” में, जहां उन्होंने विभिन्न भावनाओं और विचारों को सुरमा से व्यक्त किया। अटल जी की कविताएँ उनके शायराना दृष्टिकोण को प्रतिस्थापित करती थीं, जिसमें उन्होंने भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक सार के साथ गहरा जुड़ाव दिखाया।
अपनी कविता को सरलता और गहराई से भरा होने के लिए जाने जाता है, जिससे उन्होंने जीवन, प्रेम, और राष्ट्र की यात्रा की जटिलताओं को कुशलता से पकड़ा। उनकी छंदछाया कविताएँ सिर्फ उनकी व्यक्तिगत विचारों का परिचायक नहीं थीं, बल्कि एक बड़े दर्जे पर उनका समर्थन करती थीं, जिससे उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रमुख कवि के रूप में पहचान मिली।
अटल बिहारी वाजपेयी की शब्दों को अर्थपूर्ण छायाओं में बदलने की क्षमता ने उन्हें एक विवादित और रसिक शैली के साथ भारतीय साहित्य की धारा में योगदान करने का सुनहरा अवसर दिया। उनकी कविताओं का उपहार आज भी प्रेरणा देता है और उन्हें व्यक्तिगत भाषा और मानव अनुभव की गहराईयों में भरपूर महत्वपूर्ण स्थान पर रखता है।
अटल जी शिवमंगल सिंह सुमन की एक कविता बार-बार गुनगुनाते थे। यह कविता है- ‘क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं,
संघर्ष पथ पर जो मिले, यह भी सही वह भी सही।’ वहीं उन्होंने एक कविता भी लिखी है-
गीत नहीं गाता हूं,
अटल बिहारी वाजपेयी
बेनकाब चेहरे हैं,
दाग बड़े गहरे हैं,
टूटता तिलिस्म आज,
सच से भय खाता हूं,
गीत नहीं गाता हूं।
निष्कर्ष
अटल बिहारी वाजपेयी 2005 से राजनीति से संन्यास ले चुके थे और नई दिल्ली में 6-ए कृष्णा मेनन मार्ग स्थित सरकारी आवास में रहते थे। 16 अगस्त 2018 को लम्बी बीमारी के कारण उनका निधन हो गया। वे जीवन भर भारतीय राजनीति में सक्रिय रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी जयंती पर इस दिन को सुशासन दिवस के रूप में मनाने का फैसला लिया। 1998 में उनकी सरकार सिर्फ 13 महीने ही चली थी। सिर्फ एक वोट से उनकी सरकार गिर गई थी। अटल जी के जीवन से हमें यही सीख मिलती है कि कभी भी हमें अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं करनी चाहिए।
यह था लेख अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी (Atal Bihari Vajpayee In Hindi Jivani) पर। उम्मीद है आपको यह जीवनी पसंद आयी हो। अटल जी के जीवन के बारे में और कुछ जानने के लिए कमेंट करके पूछें और इस लेख को और लोगो के साथ शेयर करें।