Freedom Fighter Bhagat Singh Essay In Hindi | भगत सिंह पर निबंध 2024

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Freedom Fighter Bhagat Singh Essay In Hindi

भगत सिंह पर निबंध (Freedom Fighter Bhagat Singh Essay In Hindi)

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा भगत सिंह का नाम विशेष गर्व और सम्मान के साथ याद किया जाता है। उनकी शौर्यगाथा, निष्ठा, और देशप्रेम ने उन्हें एक अद्वितीय राष्ट्रनायक बना दिया। इस निबंध में, हम भगत सिंह के उद्दीपक जीवन से उनके महत्वपूर्ण क्षणों को छूने का प्रयास करेंगे, जिससे हमें एक सशक्त राष्ट्रनायक के प्रति आदर और समर्पण की भावना मिलेगी।

सरदार भगत सिंह का जीवन परिचय

भारत के युवा क्रांतिकारी सरदार भगत सिंह का जन्म पाकिस्तान में मौजूद पंजाब के लायलपुर जिले के बाँध गाँव में 28 सितम्बर 1907 ई. में हुआ था। भगत सिंह के पिता का नाम किशन सिंह और माता जी का नाम विद्यावती था। इनके परिवार में देशभक्ति की भावना बहुत ज्यादा थी, इसीलिए भगत सिंह को देशभक्ति और क्रान्ति की भावना विरासत में मिली थी। इनके पिता, चाचा और दादी में राष्ट्रीयता की भावना होने के कारण भगत सिंह भी बचपन में ही वीर, निडर, साहसी और देशभक्त बन गए थे।

भगत सिंह की प्रारंभिक शिक्षा

भगत सिंह ने अपने गाँव के सरकारी स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण की थी। प्रारंभिक शिक्षा पूर्ण करने के उन्होंने डी. ए. वी. कॉलेज से वर्ष 1917 में हाईस्कूल की परीक्षा पास की। उसके बाद भगत सिंह ने नेशनल कॉलेज से बी. ए और एफ. ए. की परीक्षा पास की थी। पढाई के साथ साथ वह कई सारे देशभक्ति संगठनों में शामिल रहे थे।

चंद्रशेखर आजाद के साथ बनाई पार्टी

भगत सिंह ने देश के लिए नौजवान संस्थान की स्थापना भी की थी, उसी समय पर-पर प्रसिद्ध कुकरी कांड हुआ था। कूकरी कांड में शामिल राम प्रसाद बिस्मिल और उनके साथ चार महान क्रांतिकारियों को फांसी की सजा सुनाई गई, इसके अलावा इस कांड में शामिल अन्य 16 क्रान्तिकारियो को करावास की सजा दी गई। इस घटना ने भगत सिंह को बहुत ज्यादा परेशान और क्रोध से भर दिया, फिर वह चंद्रशेखर आजाद से मिले और आजाद की पार्टी हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के साथ जुड़ गए। कुछ समय बाद आजाद की पार्टी का नाम हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएश रख दिया गया।

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लाला लाजपत राय की मौत का बदला

ब्रिटिश शासन के विरोध में भारत में अनेको आंदोलन हुए थे, वर्ष 1928 में साइमन कमीशन का बहिष्कार करने के लिए बहुत भयानक विरोध प्रदर्शन किया गया था। इस विरोध प्रदर्शन में भगत सिंह के दोस्त लाला लाजपत राय ने भी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया था। ब्रिटिश शासन ने प्रदर्शन करने वाले सभी क्रांतिकारियो को भगाने के लिए लाठीचार्ज की गई, जिसमे अनेको क्रांतिकारियो को काफी गहरी चोटें आई। लाला लाजपत राय के सिर में लाठी लगने से उनकी मृत्यु हो गई थी।

भगत सिंह को जब इस घटना की जानकारी हुई तो वह बहुत ज्यादा क्रोधित हो गए और उन्होंने लाला की मौत का बदला लेने का निर्णय लिया। भगत सिंह ने लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने के लिए एक योजना बनाई, योजना के तहत भगत सिंह ने पुलिस सुपरिटेंडेंट मारने का फैसला किया। अपनी इस योजना में भगत सिंह ने राज गुरु को भी साथ में लिया, फिर दोनों ने 17 दिसम्बर 1928 को एसपी सांडर्स की गोली मार कर लाला लाजपत राय की मौत का बदला लिया था।

भगत सिंह की गिरफ्तारी

जलियांवाला बाग हत्याकांड और लाला लाजपतराय की मृत्यु से भगत सिंह को गहरा आघात पहुँचा। भगत सिंह से ब्रिटिश क्रूरता सहन नहीं हो पा रही थी, इसीलिए उन्होंने देश की जनता को जगाने का निर्णय लिया। भगत सिंह ने अपने चार साथियो के साथ संसद पर हमला करके गिरफ्तार होने का निर्णय लिया। उसके बाद भगत सिंह ने अपने साथियो के साथ विधानसभा सत्र के दौरान केंद्रीय संसद में बम फेंके, हालाँकि इन बम धमाकों में किसी प्रकार नुक्सान नहीं हुआ। उसके बाद ब्रिटिश शासन ने भगत सिंह और उनके साथियो को गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तार होने के बाद भगत सिंह और उनके साथियो को कोर्ट में पेश किया गया। भगत सिंह ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान बम बनाने के बारे में भी बताया। दरसल भगत सिंह चाहते थे की बम बनाने के तरीके के बारे में देश के अधिक से अधिक लोग जाने। कोर्ट में भगत सिंह और उनके चारो साथियो को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।

भगत सिंह की मृत्यु

भगत सिंह को सजा मिलने के बाद देश में क्रांति की लहार दौड़ गई, पूरे देश में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलन तेज होने लगें। बढ़ते आंदोलन को देख ब्रिटिश शासन डरने लगा ऐसे में ब्रिटिश शासन ने भगत सिंह और उनके साथियो को फांसी देने का निर्णय लिया। ब्रिटिश शासन ने नियमों के विरुद्ध 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी की सजा दे दी गयी। फांसी के समय पर सभी क्रांतिकारियो के चेहरे पर जरा-सा भी मृत्यु का भय नहीं था। उसके बाद आजादी के दीवाने ‘मेरा रंग दे बसंती चोला’ बोलते और हँसते हुए फांसी पर झूल गए।

ब्रिटिश शासन को पता था कि फांसी की खबर सुनने के बाद देश में क्रांति आ सकती है, इसीलिए ब्रिटिश शासन ने इन सभी के शरीर के छाए छोटे टुकड़ो में काट कर नदी में फेंक दिया था। भगत सिंह की मृत्यु की खबर देशवासियो को मिली तो पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई थी।

निष्कर्ष

इस निबंध के माध्यम से हमने देखा कि भगत सिंह, एक सशक्त राष्ट्रनायक और अद्वितीय क्रांतिकारी थे, जिनकी शौर्यगाथा और देशप्रेम ने उन्हें आदर्श बना दिया। उनका जीवन एक योद्धा की भूमिका में सजीव हो उठा और उनकी बलिदानी मृत्यु ने देशभक्ति की नई ऊचाइयों की ओर पथ प्रदर्शित किया। भगत सिंह की शौर्यगाथा ने देश के युवाओं को सजग और साहसी बनाने का संदेश दिया, जिसे हमें सदैव याद रखना चाहिए। उनका आदर और समर्पण हमें अपने देश के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहने का प्रेरणा स्रोत प्रदान करता है। इस प्रकार, भगत सिंह की शौर्यगाथा हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम की महक को हमारी यादों में सजीव रखती है।


ऊपर हमने आपको भारत के महान क्रांतिकारी भगत सिंह पर निबंध (Freedom Fighter Bhagat Singh Essay In Hindi) के बारे में जानकारी दी है। हम उम्मीद करते है कि आपको हमारे लेख में दी गई जानकारी पसंद आई हो तो इस लेख को अधिक से अधिक शेयर करके ऐसे बच्चो के पेरेंट्स तक पहुँचाने में मदद करें जिन्हे भगत सिंह पर निबंध लिखना हो।

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