आज का लेख गाँधी जयंती पर निबंध (Gandhi jayanti essay in hindi) पर है। अक्सर स्कूलों में Class 3, Class 4, Class 5, Class 6, Class 7, Class 8 Class 9, Class 10, Class 11, Class 12 के बच्चों को गाँधी जी के ऊपर निबंध लिखने को कहा जाता है। इस लेख में आप गाँधी जी से जुडी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर सकते हैं और चाहे तो इसे ही इस्तेमाल कर सकते हैं या इससे देखकर इससे भी अच्छा लिख सकते हैं। अगर इसमें मैं आपकी थोड़ी सी भी मदद कर पाया तो मुझे बेहद ख़ुशी होगी. तो आइये गाँधी जी के जीवन के बारे में जानते हैं।
गाँधी जयंती पर निबंध (Gandhi Jayanti essay in hindi)
प्रस्तावना
गांधी जी हमारे इतिहास के उन पन्नों में से हैं जिनके बिना हिंदुस्तान का इतिहास ही अधूरा है। वह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक महत्वपूर्ण और प्रेरणास्पद नेता थे, उनका जीवन और उनके विचार हमारे लिए आज भी महत्वपूर्ण है। उनके संदेश और सिद्धांत सिर्फ हमारे देश में नहीं बल्कि पूरे विश्व में विख्यात हैं। आई हमारे प्यारे बापू जी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
जन्म और शिक्षा
2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर में गांधी जी का जन्म हुआ था, उनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गाँधी था। वह एक साधारण से परिवार से थे और उनके पिता का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। उनके पिता पोरबंदर में एक दीवान के रूप में काम करते थे। गांधी जी का बचपन बहुत ही साधारण था लेकिन उनमें न्याय के प्रति गहरा आधार था और वह दूसरों की मदद के लिए हर वक़्त तैयार रहते थे। महज 13 वर्ष की आयु में ही उनका विवाह कस्तूरबा बाई से कर दिया गया था।
उन्होने प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर में ही की फिर आगे चलकर राजकोट से हाई स्कूल को पास किया। उसके बाद की शिक्षा उन्होंने भावनगर के श्यामलदास कॉलेज से की जहां से उनको पास होने के लिए काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 1988 को वह बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए लंदन चले गए।
साउथ अफ्रीका में भेदभाव
लंदन से पढ़ाई पूरी करने के बाद जब वह भारत वापस आए तो उन्हें यहां काम करने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, तभी उनके जीवन ने एक महत्वपूर्ण मोड़ लिया जब उन्होंने साउथ अफ्रीका जाकर काम करने का निर्णय लिया। साउथ अफ्रीका में गांधी जी को भारतीयों के साथ होने वाले भेदभाव का सामना करना पड़ा। यहां तक की ट्रेन में प्रथम श्रेणी की टिकट होने के बावजूद उनका तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने के लिए कहा गया और जब उन्होंने ऐसा करने से इनकार किया तो उन्हें ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया। ऐसे ही कई सारे होटल में भी उनका जाना वर्जित था। ऐसी तमाम कठिनाइयों का उनको वहां पर सामना करना पड़ा। भारतीयों के साथ होने वाले इस भेदभाव के खिलाफ उन्होंने अपना पहला सत्याग्रह भी किया।
भारत वापसी और स्वतंत्रता संग्राम में नेतृत्व
1915 में गांधी जी भारत वापस लौट आए और अपने साथ अहिंसा और सत्याग्रह का सिद्धांत भी लाए। वापस आने के बाद वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व बन गए और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एक महत्वपूर्ण आंदोलन गांधी जी द्वारा शुरू किया गया जिसका नाम था “स्वदेशी आंदोलन” इस आंदोलन के तहत उन्होंने भारतीयों को ब्रिटिश उत्पादों और सेवाओं का बहिष्कार करने की सलाह दी। लाखों भारतीय इस आंदोलन में शामिल हुए और यह स्वतंत्रता संग्राम के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ था जिसने अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई की रूप रेखा ही बदल दी।
दांडी यात्रा
अंग्रेजों ने ऐसा कानून लाया जिसमें सिर्फ वही नमक का उत्पादन और उसे बेच सकते थे, इसके खिलाफ गांधी जी ने 1930 में एक आंदोलन का आयोजन किया जिसको नमक यात्रा या दांडी यात्रा के नाम से भी जाना जाता है। इसमें वह 24 दिन तक चलकर दांडी गए और वहां उन्होंने खुद नमक बनाया ऐसा करके उन्होंने कानून का उल्लंघन किया। इस आंदोलन की चर्चा पूरे विश्व में हुई और और इसकी वजह से बहुत सारे भारतीय गांधी जी के साथ सत्याग्रह में जुड़ गए।
कारावास
अहिंसा का मार्ग चुनने की वजह से गांधी जी को अक्सर कारावास में जाना पड़ता था। उन्होंने काफी वक्त ब्रिटिश जेल में बिताया जहां उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम आगे बढ़ाने के लिए खूब विचार विमर्श किया। उनका अड़ीक संकल्प और उनके आत्मविश्वास के कारण ब्रिटिश सरकार को उनके सामने झुकना पड़ा और उनसे बातचीत करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भारत छोड़ो आंदोलन और आज़ादी
1942 में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की यह उन आंदोलनों में से एक था जिसके कारण भारत को आजादी मिली। 15 अगस्त 1947 में भारत को अंग्रेजो से आज़ादी मिली जिसकी बहुत बड़ी वजह महात्मा गाँधी जी रहे।
जीवन का अंत
स्वतंत्रता के 6 महीने बाद 30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी। यह दिन सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिए एक दुखद दिन था। लेकिन उनकी विचारधारा और उनके सिद्धांत सदैव हमारे जीवन में जीवित रहेंगे। महात्मा गांधी जी को “राष्ट्रपिता” का दर्जा दिया गया और पूरा देश उन्हें प्यार से बापू बुलाता है। हर साल 2 अक्टूबर को इसी उपलक्ष्य में गांधी जयंती मनाई जाती है।
निष्कर्षण
गांधी जी का जीवन और उनका कार्य आज भी लोगों के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। उनका सत्य, अहिंसा और न्याय के प्रति समर्पण उन्हें आशा और संघर्ष का प्रतीक बनाता है। उनके जीवन से हमें हर रोज यह शिक्षा मिलती है कि सत्य और अहिंसा का मार्ग अपना कर हम जिंदगी की बड़ी से बड़ी जंग जीत सकते हैं और इस मार्ग पर चलकर हम एक बेहतर इंसान बन सकते हैं। जय हिन्द।
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