मेरे प्रिय शिक्षक (Mere Priya Shikshak Nibandh) के बारे में यह लेख हमें बताता है कि सबके जीवन में एक ऐसा उदार और समझदार शिक्षक होना कितना महत्वपूर्ण होता है। मेरे पसंदीदा शिक्षक, धर्मेंद्र सर, वह न केवल अच्छे शिक्षायक हैं, बल्कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए मुख्य मार्गदर्शक भी हैं। उनकी शिक्षा ने छात्रों को न केवल अच्छे अंक प्राप्त करने में मदद की है, बल्कि उन्हें जीवन की मूल्यवादिता और सच्चाई का मार्ग दिखाया है। यह लेख शिक्षा के महत्व को उजागर करता है और छात्रों को अपने शिक्षकों के प्रति कृतज्ञ रहने के लिए प्रेरित करता है।
Mere Priya Shikshak Nibandh | मेरे प्रिय शिक्षक पर निबंध
स्कूलों में हम सभी का एक पसंदीदा टीचर जरूर होता है। यह वह शिक्षक होते हैं, जो हमें अच्छे तरीके से पढ़ाते हैं और हमारे हर मुश्किल सवालों का सही तरीके से जवाब देते हैं। एक शिक्षक अगर छात्र को अच्छे से पढ़ाते हैं तो वे छात्र उनकी क्लास का उत्सुकता से प्रतीक्षा करते हैं। इस कारण कोई भी छात्र अपने प्रिय शिक्षक की कक्षा को कभी मिस नहीं करते। हर शिक्षक एक जैसा नहीं होता। हम स्कूल में जो सीखते हैं, वही वास्तव में जीवन भर हमारी मदद करता है।
मेरे पसंदीदा शिक्षक धर्मेंद्र सर हैं। वह बहुत ही समझदारी के साथ हमसब को पढ़ाते हैं। उनसे हमें काफी सीखने को मिलता है। उनकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि हर उस सवाल का वह काफी बेहतरीन तरीके से जवाब देते हैं। इस कारण कोई भी विषय हमारे लिए बोरिंग नहीं रहता है। उनके प्रैक्टिकली पढ़ने का तरीका कई छात्रों का उनका पसंदीदा बनाता हैं। वे न केवल एक शिक्षक हैं बल्कि एक बेहतरीन इंसान भी हैं, जिससे आप अपनी इच्छानुसार किसी भी विषय या परेशानी पर बात कर सकते हैं। वे बहुत विनम्र और नम्रता के साथ अपनी बात को रखते हैं। इसीलिए वे मेरे फेवरेट टीचर हैं।
सच बोलने के लिए करते हैं प्रेरित
वे सदैव अपने सभी स्टूडेंट्स को कड़ी मेहनत करने और अच्छे मार्क्स लाने के लिए प्रेरित करते हैं। जब मुझे किसी भी विषय को लेकर कोई संदेह होता है तो वह उस सब्जेक्ट को अच्छी तरह समझने में मेरी मदद करते हैं। वह मैथ के सब्जेक्ट को प्रैक्टिकल करके अधिक रोचक और आकर्षक बनाकर पढ़ाते हैं। वे हमेशा मुझे सही रास्ते पर चलने के लिए मार्गदर्शन करते हैं। वह हमें सच बोलना, सभी का सम्मान करना और जीवन में एक अच्छे मुकाम को हासिल करने के लिए प्रेरित करती हैं।
ऑनलाइन पढ़ाई में की मदद
जब हम सबको कोरोना महामारी के दौरान किसी चीज की परेशानी होती थी, तो वे हमेशा हम सब की मदद करते थे। उन्होंने उस समय एक सोशल मीडिया ग्रुप को हम सभी स्टूडेंट्स की सहायता के लिए बनाया है, ताकि हमें जब कभी भी कोई संदेह हो तो हम उनसे सम्पर्क कर सकें। उन्होंने हमारी पढ़ाई में किसी तरह की दिक्कत नहीं आने दी, वे सुबह से ही ऑनलाइन क्लास शुरू करने से पहले हम सभी स्टूडेंट्स का हाल पूछते थे।
उन्होंने इतनी परेशानी के समय भी स्टूडेंट्स की पढ़ाई से कोई समझौता नहीं किया। जब हमें कोई परेशानी हुई तो उन्होंने परीक्षा से पहले हमें अच्छे से गाइड किया ताकि हम अच्छे अंकों के साथ पास हो कर आगे बढ़ सकें।
यह भी पढ़ें: अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी
लेते थे एक्स्ट्रा क्लास
हमारे एग्जाम से पहले हमेशा वे हम सभी को एक्स्ट्रा क्लास देते थे। किसी स्टूडेंट्स को अगर किसी भी सब्जेक्ट में कोई परेशानी होती थी, तो वे उसको उस एक्स्ट्रा क्लास में सॉल्व करते थे। उनका प्रॉब्लम सॉल्व करने का तरीका इतना अच्छा होता था। हम सब को लगता था कि जिस चीज में हम इतना परेशान थे, वो इतनी छोटी सी चीज थी। वे प्रैक्टिकली चीजों को बताते थे। इसके अलावा वो हमें संभावित प्रश्नों की सूची भी देते थे, ताकि उस टॉपिक पर आए प्रश्न को परीक्षा में सॉल्व कर सकें।
जीवन की सीख भी मिली
धर्मेंद्र सर की एक बहुत ही खास बात यह थी कि जब कोई छात्र निराश होता था या वो डर के कारण उनसे कोई बात को नहीं पूछ पाता था। तो वे उसके आत्मविश्वास को बढ़ाते थे और उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते थे। वे हमेशा कहते थे की किसी चीज से डर कर मत भागो। हर चीज का सामना करो। कोई चीज आपके आत्मविश्वास से बड़ी नहीं हो सकती है।
अगर आपने किसी चीज को करने का लक्ष्य तय किया है तो उस लक्ष्य को मेहनत कर के प्राप्त करो। अगर सफलता एक बार नहीं मिली तो ऐसा नहीं है कि कभी नहीं मिलेगी। आगे और मेहनत तेज कर दो और उसे हासिल कर लो। यह सीख हमें आज भी प्रेरित करती है।
यह भी पढ़ें: मेरा शहर दिल्ली निबंध
छात्रों को पुरस्कृत भी करते थे
जैसे ही हमारे एग्जाम खत्म होते थे, वे हम सभी को बहार घूमने ले जाते थे। स्कूल टूर पर ये सभी स्टूडेंट्स को बहुत प्यार से और बहुत सारे गेम खेलाते थे। उनका कहना था कि पढ़ाई के साथ शारीरिक एक्टिविटी का होना भी जरुरी है। वे स्कूल के समय भी एक क्लास में हम सभी स्टूडेंट्स को कुछ न कुछ एक्टिविटी सिखाते थे। वह हम छात्रों को क्लास के बाद एक प्रेरक कहानी सुनाते थे। हम सभी बच्चे उसे ध्यान से सुनते थे। वह हमें उस कहानी से क्या सीख मिली, इसपर अपनी राय लिखने को कहते थे। अगले दिन जो छात्र उस सीख को बेहतर लिखता था, वे उसे पुरस्कृत करते थे। वे मेरे प्रिय शिक्षक थे।
निष्कर्ष
हमें हमेशा अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और आज हम जो कुछ भी हैं, उसके लिए उन्हें धन्यवाद भी देना चाहिए। उनकी सिखाई हुई हर चीज को बहुत ही गंभीरता से लेकर आगे जीवन में बढ़ना चाहिए। मुझे लगता है कि आज मैं जो कुछ भी हूं धर्मेंद्र सर की वजह से हूं। उनकी दी हुई शिक्षा हमें हर क्षण महसूस होती है। एक शिक्षक को जिसे मैं अपनी ताउम्र नहीं भूल सकता हूं वह हैं धर्मेंद्र सर। हमें हमेशा अपने प्रिय शिक्षक का ऋणी रहना चाहिए।
यह था लेख मेरे प्रिय शिक्षक (Mere Priya Shikshak Nibandh) पर। उम्मीद है आपको भी यह लेख पसंद आया हो। इससे प्रेरित होकर आप भी अपने प्रिय शिक्षक के लिए निबंध लिख सकते हैं और इसे और लोगो के साथ शेयर करके उनको भी इस लेख के बारे में बताये।